पाठ 1 में आपने चन्द्रमा की गतियों के बारे में सीखा| आपको याद होगा कि चन्द्रमा को पृथ्वी का एक परिक्रमण पूरा करने में 27.3 दिन लगते हैं| मगर पाठ 2 में आपने पढ़ा कि चन्द्रमा को अपनी कलाओं के चक्र को पूरा करने में 29.5 दिन लगते हैं (शुक्ल पक्ष के 15 दिन + कृष्ण पक्ष के 15 दिन)| अगर चन्द्रमा पृथ्वी का एक चक्कर लगाने में 27 दिन लगाता है तो उसे कलाओं का एक चक्र पूरा करने में 29 दिन कैसे लग जाते हैं?
आइए इसे और गहराई से समझें| हम पूर्णिमा की रात से चन्द्रमा को देखना शुरु करते हैं| उसकी स्थिति पर नजर रखने के लिए हम नजदीक के एक चमकीले तारे को चिन्हित करते हैं| हम इस तारे को ‘तारा अ’ कहेंगे| अगले दिन चन्द्रमा थोड़ी देर से उदय होगा और ‘तारा ब’ के नजदीक दिखेगा| तीसरे दिन वह थोड़ी और देर से उदय होगा और ‘तारा स’ के नज़दीक दिखेगा| इस तरह चन्द्रमा अलग-अलग तारों के नज़दीक दिखता हुआ अपनी कक्षा में आगे बढ़ता जाता है| जब वह ‘तारा अ’ पर वापस पहुंचता है, तब उसका पृथ्वी का एक परिक्रमण पूरा हो चुका होता है, और हमें पूर्ण चन्द्र दिखना चाहिए| मगर हमें ऐसा नहीं दिखता है! हमें अभी भी बढ़ता हुआ अर्द्धाधिक चन्द्र ही दिखता है| क्योंकि पृथ्वी भी अपनी कक्षा में थोड़ा आगे बढ़ चुकी होती है, इसलिए चन्द्रमा को उस तक पहुंचने में कुछ दिन और लग जाते हैं| कुछ दिन बाद चन्द्रमा सूर्य की ठीक विपरीत दिशा में होता है और तब हमें पूर्णिमा दिखती है| इस बार पूर्णिमा के वक्त चन्द्रमा ‘तारा स’ के नजदीक दिखेगा नाकि पिछली पूर्णिमा की तरह ‘तारा अ’ के नजदीक|
आइए इसे समझने के लिए एक गतिविधि करते हैं|
रोल प्ले : तारों के सापेक्ष चन्द्रमा की गति विधि:
इस गतिविधि के लिए कम-से-कम 6 बच्चों का समूह चाहिए| इस गतिविधि में 30 बच्चे तक शामिल हो सकते हैं|
तीन बच्चे सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा की भूमिका निभाएंगे| बाकी बच्चे तारे बनेंगे| अगर 27 तारे हैं, तो उन्हें सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा के चारों ओर एक बड़े घेरे में खड़ा हो जाना चाहिए| अगर केवल 3 तारे हैं तो उन्हें चित्र 2 के अनुसार सूर्य-पृथ्वी-चन्द्रमा के एक ओर नजदीक में खड़ा हो जाना चाहिए| बाकी तारे एक घेरे में खड़े हो सकते हैं|
पूर्णिमा की स्थिति में खड़े हो जाएं ताकि चन्द्रमा ‘तारा अ’ के नजदीक दिखे|
अब चन्द्रमा पृथ्वी का परिक्रमण शुरु करे और पृथ्वी भी बहुत धीरे-धीरे सूर्य का परिक्रमण शुरु करे| (दोनों के परिक्रमण की दिशा एक समान होनी चाहिए!) यह सुनिश्चित कीजिए कि चन्द्रमा और पृथ्वी के परिक्रमण की गतियां ऐसी हों कि पृथ्वी के सूर्य का एक चक्कर पूरा करने तक चन्द्रमा पृथ्वी के 12 चक्कर लगा ले| (आप यहां पृथ्वी के घूर्णन को नजरअंदाज कर सकते हैं क्योंकि उसे दिखाना इस गतिविधि के लिए जरुरी नहीं है; साथ ही पृथ्वी इतना ज्यादा घूर्णन कर भी नहीं पाएगी!)
जब तक चन्द्रमा अपने शुरुआती स्थान पर (‘तारा अ’ के नजदीक) पहुंचेगा, तब तक पृथ्वी अपनी कक्षा में थोड़ा आगे बढ़ी चुकी होगी| इसलिए चन्द्रमा को थोड़ा और आगे चलना होगा, ‘तारा स’ के नजदीक, ताकि फिर से पूर्णिमा दिखाई देने लगे|
चन्द्र उदय के समय में परिवर्तनों को समझाते हुए एक चित्र बनाएँ| सन्दर्भ के लिए चित्र 2 देखिए| चित्र बनाने के लिए अपनी नोटबुक को उपयोग में लें। जिस पृष्ठ पर आप चित्र बना रहे हैं, उस पर कृपया निम्नलिखित को लिखें – खगोल विज्ञान मॉड्यूल : इकाई 2 : पाठ 4: गतिविधि 2 और लॉगिन आईडी।
चित्र 2: नक्षत्र मास 27.3 दिन का होता है और चन्द्रमास 29.5 दिन का होता है|
आकाश में अपने पृष्ठभूमि में मौजूद तारों के सापेक्ष, चन्द्रमा एक परिक्रमण 27.3 दिन में पूरा कर लेता है; इसलिए इस अवधि को नक्षत्र मास कहते हैं| चन्द्रमा 29.5 दिन में कलाओं का एक चक्र पूरा करता है इसलिए इस अवधि को चन्द्रमास कहते हैं| पुराने कैलेंडरों के महीने चन्द्रमास पर आधारित थे, मगर इसके साथ-साथ लोग चन्द्रमा की स्थिति तारों के सापेक्ष भी जानना चाहते थे| इसलिए हर दिन के लिए चन्द्रमा के नजदीक स्थित तारों के समूह को चिन्हित किया गया| चैत्री पंचांग (हिन्दू कैलेंडर जो चैत्र के महीने से शुरु होता है) और उसके ज्यादातर संस्करणों में तारों के इन समूह को नक्षत्र कहते हैं| क्योंकि चन्द्रमा तारों के सापेक्ष एक परिक्रमण पूरा करने में लगभग 27 दिन लगाता है, इसलिए 27 नक्षत्र चिन्हित किए गए हैं|
महीनों को नक्षत्रों के आधार पर नाम दिया जाता है जिनमें उस महीने पूर्णिमा के दिन चंद्रमा देखा जाता है। उदाहरण के लिए, जिस महीने में पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को चैत्र नक्षत्र के पास देखा जाता है, वह महीना चैत्र कहलाता है। वैशाख माह में चंद्रमा को विशाखा नक्षत्र के पास देखा जाता है। सारणी 1में सारे नक्षत्रों की सूची दी हुई है। (लिखने के लिए चित्र पर क्लिक करें)
क्या आप महीनों के नाम पहचान सकते हैं जो इन में कुछ पर आधारित हैं?
तालिका 1: नक्षत्रों की सूची| इनपर आधारित महीनों के नाम लिखिए|
क्रमांक
नक्षत्र
भारतीय पंचांग का महीना
1
अश्विनी
अश्विन
2
भरणी
3
कृतिका
4
रोहिणी
5
मृगशीर्ष
6
आर्द्रा
7
पुनर्वसु
8
पुष्य
9
अश्लेषा
10
मघा
11
पूर्वाफाल्गुनी
12
उत्तराफाल्गुनी
13
हस्त
14
चित्रा
चैत्र
15
स्वाति
16
विशाखा
17
ज्येष्ठा
18
अनुराधा
19
मूल
20
पूर्वाषाढ़
21
उत्तराषाढ़
22
श्रवण
23
धनिष्ठा
24
शततारका
25
पूर्वभाद्रपद
26
उत्तरभाद्रपद
27
रेवती
कुल मिलाकर 27 नक्षत्र होते हैं| एक वर्ष में चन्द्रमा पृथ्वी के 12 से कुछ अधिक परिक्रमण करता है; इसलिए वर्ष में 12 महीने होते हैं| और इसीलिए ये महीने सभी 27 नक्षत्रों के नाम पर नहीं रखे गए हैं| केवल वे नक्षत्र जिनके पास पूर्णिमा दिखती है, उन्हीं के नाम पर महीनों के नाम रखे गए हैं|
शब्दकोष
चन्द्र मास और नक्षत्र मास
पाठ 1 में आपने चन्द्रमा की गतियों के बारे में सीखा| आपको याद होगा कि चन्द्रमा को पृथ्वी का एक परिक्रमण पूरा करने में 27.3 दिन लगते हैं| मगर पाठ 2 में आपने पढ़ा कि चन्द्रमा को अपनी कलाओं के चक्र को पूरा करने में 29.5 दिन लगते हैं (शुक्ल पक्ष के 15 दिन + कृष्ण पक्ष के 15 दिन)| अगर चन्द्रमा पृथ्वी का एक चक्कर लगाने में 27 दिन लगाता है तो उसे कलाओं का एक चक्र पूरा करने में 29 दिन कैसे लग जाते हैं?
आइए इसे और गहराई से समझें| हम पूर्णिमा की रात से चन्द्रमा को देखना शुरु करते हैं| उसकी स्थिति पर नजर रखने के लिए हम नजदीक के एक चमकीले तारे को चिन्हित करते हैं| हम इस तारे को ‘तारा अ’ कहेंगे| अगले दिन चन्द्रमा थोड़ी देर से उदय होगा और ‘तारा ब’ के नजदीक दिखेगा| तीसरे दिन वह थोड़ी और देर से उदय होगा और ‘तारा स’ के नज़दीक दिखेगा| इस तरह चन्द्रमा अलग-अलग तारों के नज़दीक दिखता हुआ अपनी कक्षा में आगे बढ़ता जाता है| जब वह ‘तारा अ’ पर वापस पहुंचता है, तब उसका पृथ्वी का एक परिक्रमण पूरा हो चुका होता है, और हमें पूर्ण चन्द्र दिखना चाहिए| मगर हमें ऐसा नहीं दिखता है! हमें अभी भी बढ़ता हुआ अर्द्धाधिक चन्द्र ही दिखता है| क्योंकि पृथ्वी भी अपनी कक्षा में थोड़ा आगे बढ़ चुकी होती है, इसलिए चन्द्रमा को उस तक पहुंचने में कुछ दिन और लग जाते हैं| कुछ दिन बाद चन्द्रमा सूर्य की ठीक विपरीत दिशा में होता है और तब हमें पूर्णिमा दिखती है| इस बार पूर्णिमा के वक्त चन्द्रमा ‘तारा स’ के नजदीक दिखेगा नाकि पिछली पूर्णिमा की तरह ‘तारा अ’ के नजदीक|
आइए इसे समझने के लिए एक गतिविधि करते हैं|
रोल प्ले : तारों के सापेक्ष चन्द्रमा की गति
विधि:
इस गतिविधि के लिए कम-से-कम 6 बच्चों का समूह चाहिए| इस गतिविधि में 30 बच्चे तक शामिल हो सकते हैं|
तीन बच्चे सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा की भूमिका निभाएंगे| बाकी बच्चे तारे बनेंगे| अगर 27 तारे हैं, तो उन्हें सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा के चारों ओर एक बड़े घेरे में खड़ा हो जाना चाहिए| अगर केवल 3 तारे हैं तो उन्हें चित्र 2 के अनुसार सूर्य-पृथ्वी-चन्द्रमा के एक ओर नजदीक में खड़ा हो जाना चाहिए| बाकी तारे एक घेरे में खड़े हो सकते हैं|
पूर्णिमा की स्थिति में खड़े हो जाएं ताकि चन्द्रमा ‘तारा अ’ के नजदीक दिखे|
अब चन्द्रमा पृथ्वी का परिक्रमण शुरु करे और पृथ्वी भी बहुत धीरे-धीरे सूर्य का परिक्रमण शुरु करे| (दोनों के परिक्रमण की दिशा एक समान होनी चाहिए!) यह सुनिश्चित कीजिए कि चन्द्रमा और पृथ्वी के परिक्रमण की गतियां ऐसी हों कि पृथ्वी के सूर्य का एक चक्कर पूरा करने तक चन्द्रमा पृथ्वी के 12 चक्कर लगा ले| (आप यहां पृथ्वी के घूर्णन को नजरअंदाज कर सकते हैं क्योंकि उसे दिखाना इस गतिविधि के लिए जरुरी नहीं है; साथ ही पृथ्वी इतना ज्यादा घूर्णन कर भी नहीं पाएगी!)
जब तक चन्द्रमा अपने शुरुआती स्थान पर (‘तारा अ’ के नजदीक) पहुंचेगा, तब तक पृथ्वी अपनी कक्षा में थोड़ा आगे बढ़ी चुकी होगी| इसलिए चन्द्रमा को थोड़ा और आगे चलना होगा, ‘तारा स’ के नजदीक, ताकि फिर से पूर्णिमा दिखाई देने लगे|
चित्र बनाने के लिए अपनी नोटबुक को उपयोग में लें। जिस पृष्ठ पर आप चित्र बना रहे हैं, उस पर कृपया निम्नलिखित को लिखें – खगोल विज्ञान मॉड्यूल : इकाई 2 : पाठ 4: गतिविधि 2 और लॉगिन आईडी।
चित्र 2: नक्षत्र मास 27.3 दिन का होता है और चन्द्रमास 29.5 दिन का होता है|
आकाश में अपने पृष्ठभूमि में मौजूद तारों के सापेक्ष, चन्द्रमा एक परिक्रमण 27.3 दिन में पूरा कर लेता है; इसलिए इस अवधि को नक्षत्र मास कहते हैं| चन्द्रमा 29.5 दिन में कलाओं का एक चक्र पूरा करता है इसलिए इस अवधि को चन्द्रमास कहते हैं| पुराने कैलेंडरों के महीने चन्द्रमास पर आधारित थे, मगर इसके साथ-साथ लोग चन्द्रमा की स्थिति तारों के सापेक्ष भी जानना चाहते थे| इसलिए हर दिन के लिए चन्द्रमा के नजदीक स्थित तारों के समूह को चिन्हित किया गया| चैत्री पंचांग (हिन्दू कैलेंडर जो चैत्र के महीने से शुरु होता है) और उसके ज्यादातर संस्करणों में तारों के इन समूह को नक्षत्र कहते हैं| क्योंकि चन्द्रमा तारों के सापेक्ष एक परिक्रमण पूरा करने में लगभग 27 दिन लगाता है, इसलिए 27 नक्षत्र चिन्हित किए गए हैं|
महीनों को नक्षत्रों के आधार पर नाम दिया जाता है जिनमें उस महीने पूर्णिमा के दिन चंद्रमा देखा जाता है। उदाहरण के लिए, जिस महीने में पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को चैत्र नक्षत्र के पास देखा जाता है, वह महीना चैत्र कहलाता है। वैशाख माह में चंद्रमा को विशाखा नक्षत्र के पास देखा जाता है।
सारणी 1 में सारे नक्षत्रों की सूची दी हुई है।
(लिखने के लिए चित्र पर क्लिक करें)
क्या आप महीनों के नाम पहचान सकते हैं जो इन में कुछ पर आधारित हैं?
तालिका 1: नक्षत्रों की सूची| इनपर आधारित महीनों के नाम लिखिए|
क्रमांक
नक्षत्र
भारतीय पंचांग का महीना
1
अश्विनी
अश्विन
2
भरणी
3
कृतिका
4
रोहिणी
5
मृगशीर्ष
6
आर्द्रा
7
पुनर्वसु
8
पुष्य
9
अश्लेषा
10
मघा
11
पूर्वाफाल्गुनी
12
उत्तराफाल्गुनी
13
हस्त
14
चित्रा
चैत्र
15
स्वाति
16
विशाखा
17
ज्येष्ठा
18
अनुराधा
19
मूल
20
पूर्वाषाढ़
21
उत्तराषाढ़
22
श्रवण
23
धनिष्ठा
24
शततारका
25
पूर्वभाद्रपद
26
उत्तरभाद्रपद
27
रेवती
कुल मिलाकर 27 नक्षत्र होते हैं| एक वर्ष में चन्द्रमा पृथ्वी के 12 से कुछ अधिक परिक्रमण करता है; इसलिए वर्ष में 12 महीने होते हैं| और इसीलिए ये महीने सभी 27 नक्षत्रों के नाम पर नहीं रखे गए हैं| केवल वे नक्षत्र जिनके पास पूर्णिमा दिखती है, उन्हीं के नाम पर महीनों के नाम रखे गए हैं|
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