रोल प्ले : चंद्रोदय के समय में होने वाला बदलाव विधि:
एक-दूसरे से कुछ फीट दूरी पर जोड़े में खड़े हो जाइए|
हर जोड़े में बाईं ओर खड़ा बच्चा पृथ्वी बनेगा और दाईं ओर खड़ा बच्चा चन्द्रमा बनेगा|
सूर्य की किरणों की दिशा निर्धारित कर लीजिए|
पूर्णिमा की स्थिति से शुरु कीजिए| यानी सूर्य और चन्द्रमा पृथ्वी की विपरीत दिशाओं में हों| चन्द्रमा का चेहरा पृथ्वी की ओर होना चाहिए|
पृथ्वी इस तरह खड़े हो कि चन्द्रमा उसके बाईं ओर हो और सूर्य दाईं ओर| इस स्थिति में नाक पर खड़े व्यक्ति (नीतू) को चन्द्रमा पूर्वी क्षितिज पर दिखेगा और सूर्य पश्चिमी क्षितिज पर|
अब पृथ्वी घूर्णन करना शुरु करे| चन्द्रमा भी बहुत धीरे-धीरे पृथ्वी का परिक्रमण करना शुरु करे| ध्यान रखें कि पृथ्वी के घूर्णन और चन्द्रमा के परिक्रमण की दिशा एक ही हो (दाहिने हाथ के नियम का इस्तेमाल करके दिशा निर्धारित करें)|
जब नीतू के लिए सूर्य अस्त हो जाएगा तब पूर्ण चन्द्रमा उदय होगा (चित्र 1)|
जब तक पृथ्वी एक पूरा चक्कर लगाएगी (पृथ्वी बने बच्चे का चेहरा सूर्य से ठीक विपरीत हो जाएगा), तब तक चन्द्रमा एक-दो कदम आगे बढ़ चुका होगा| इसलिए नीतू को सूर्यास्त के समय पूर्वी क्षितिज पर चन्द्रमा उदय होते हुए नहीं दिखेगा| पृथ्वी को थोड़ा और घूमना होगा ताकि नीतू को चन्द्रमा उदय होता हुए दिखे| इसका अर्थ है कि कृष्ण पक्ष का अर्द्धाधिकचन्द्र सूर्यास्त और मध्यरात्रि के बीच उदय होता है और सूर्योदय और मध्यान्ह के बीच अस्त होता है| क्या आपने दिन के उजाले में अर्द्धाधिकचन्द्र देखा है? अगर नहीं, तो उसे जरुर देखिए!
अगर आप कृष्ण पक्ष के अर्द्धचंद्र की स्थिति पर पहुंच जाएं (सूर्य-पृथ्वी-चन्द्रमा की बीच का कोण 90° हो), तो आप देखेंगे कि चन्द्रमा मध्यरात्रि के समय उदय होता है और मध्यान्ह पर अस्त हो जाता है (चित्र 1)|
इसी तरह कृष्ण पक्ष का बालचंद्र मध्यरात्रि और सूर्योदय के बीच उदय होता है और मध्यान्ह और सूर्यास्त के बीच अस्त होता है|
आखिरकार अमावस्या की स्थिति में, सूर्य और चन्द्रमा एक साथ उदय होते हैं और एक साथ अस्त होते हैं| मगर हमें चन्द्रमा नहीं दिखता है क्योंकि उसका केवल अंधेरे से ढका भाग पृथ्वी की ओर होता है|
अब आप शुक्ल पक्ष के बालचंद्र, अर्द्धचंद्र और अर्द्धाधिकचन्द्र के उदय और अस्त होने का समय निकालिए|
चन्द्र उदय के समय में परिवर्तनों को समझाते हुए एक चित्र बनाएँ।
चित्र बनाने के लिए अपनी नोटबुक को उपयोग में लें। जिस पृष्ठ पर आप चित्र बना रहे हैं, उस पर कृपया निम्नलिखित को लिखें – खगोल विज्ञान मॉड्यूल : इकाई 2 : पाठ : गतिविधि 1और लॉगिन आईडी।
चलिए पता लगाते हैं कि चंद्रोदय का समय हर दिन कैसे बढ़ते जाता है|
पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा सूर्यास्त के समय उदय होता है और अमावस्या के दिन वह सूर्योदय के साथ उदय होता है| यानी 15 दिन की अवधि में चंद्रोदय के समय में 12 घंटे का अंतर आ जाता है (720 मिनट)| अतः एक दिन में चंद्रोदय में 720÷15=48 मिनट का अंतर आ जाता है|
आप चंद्रोदय का समय स्थानीय कैलेंडर या समाचार पत्रों में देख सकते हैं| लगातार दो दिनों तक चंद्रोदय का समय नोट कीजिए और देखिए कि क्या वह हमारे पूर्वानुमान से मेल खाते हैं| अगर नहीं, तो उनमें कितना अंतर है?
शब्दकोष
विधि:
एक-दूसरे से कुछ फीट दूरी पर जोड़े में खड़े हो जाइए|
हर जोड़े में बाईं ओर खड़ा बच्चा पृथ्वी बनेगा और दाईं ओर खड़ा बच्चा चन्द्रमा बनेगा|
सूर्य की किरणों की दिशा निर्धारित कर लीजिए|
पूर्णिमा की स्थिति से शुरु कीजिए| यानी सूर्य और चन्द्रमा पृथ्वी की विपरीत दिशाओं में हों| चन्द्रमा का चेहरा पृथ्वी की ओर होना चाहिए|
पृथ्वी इस तरह खड़े हो कि चन्द्रमा उसके बाईं ओर हो और सूर्य दाईं ओर| इस स्थिति में नाक पर खड़े व्यक्ति (नीतू) को चन्द्रमा पूर्वी क्षितिज पर दिखेगा और सूर्य पश्चिमी क्षितिज पर|
अब पृथ्वी घूर्णन करना शुरु करे| चन्द्रमा भी बहुत धीरे-धीरे पृथ्वी का परिक्रमण करना शुरु करे| ध्यान रखें कि पृथ्वी के घूर्णन और चन्द्रमा के परिक्रमण की दिशा एक ही हो (दाहिने हाथ के नियम का इस्तेमाल करके दिशा निर्धारित करें)|
जब नीतू के लिए सूर्य अस्त हो जाएगा तब पूर्ण चन्द्रमा उदय होगा (चित्र 1)|
जब तक पृथ्वी एक पूरा चक्कर लगाएगी (पृथ्वी बने बच्चे का चेहरा सूर्य से ठीक विपरीत हो जाएगा), तब तक चन्द्रमा एक-दो कदम आगे बढ़ चुका होगा| इसलिए नीतू को सूर्यास्त के समय पूर्वी क्षितिज पर चन्द्रमा उदय होते हुए नहीं दिखेगा| पृथ्वी को थोड़ा और घूमना होगा ताकि नीतू को चन्द्रमा उदय होता हुए दिखे| इसका अर्थ है कि कृष्ण पक्ष का अर्द्धाधिकचन्द्र सूर्यास्त और मध्यरात्रि के बीच उदय होता है और सूर्योदय और मध्यान्ह के बीच अस्त होता है| क्या आपने दिन के उजाले में अर्द्धाधिकचन्द्र देखा है? अगर नहीं, तो उसे जरुर देखिए!
अगर आप कृष्ण पक्ष के अर्द्धचंद्र की स्थिति पर पहुंच जाएं (सूर्य-पृथ्वी-चन्द्रमा की बीच का कोण 90° हो), तो आप देखेंगे कि चन्द्रमा मध्यरात्रि के समय उदय होता है और मध्यान्ह पर अस्त हो जाता है (चित्र 1)|
इसी तरह कृष्ण पक्ष का बालचंद्र मध्यरात्रि और सूर्योदय के बीच उदय होता है और मध्यान्ह और सूर्यास्त के बीच अस्त होता है|
आखिरकार अमावस्या की स्थिति में, सूर्य और चन्द्रमा एक साथ उदय होते हैं और एक साथ अस्त होते हैं| मगर हमें चन्द्रमा नहीं दिखता है क्योंकि उसका केवल अंधेरे से ढका भाग पृथ्वी की ओर होता है|
अब आप शुक्ल पक्ष के बालचंद्र, अर्द्धचंद्र और अर्द्धाधिकचन्द्र के उदय और अस्त होने का समय निकालिए|
चित्र बनाने के लिए अपनी नोटबुक को उपयोग में लें। जिस पृष्ठ पर आप चित्र बना रहे हैं, उस पर कृपया निम्नलिखित को लिखें – खगोल विज्ञान मॉड्यूल : इकाई 2 : पाठ : गतिविधि 1और लॉगिन आईडी।
चलिए पता लगाते हैं कि चंद्रोदय का समय हर दिन कैसे बढ़ते जाता है|
पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा सूर्यास्त के समय उदय होता है और अमावस्या के दिन वह सूर्योदय के साथ उदय होता है| यानी 15 दिन की अवधि में चंद्रोदय के समय में 12 घंटे का अंतर आ जाता है (720 मिनट)| अतः एक दिन में चंद्रोदय में 720÷15=48 मिनट का अंतर आ जाता है|
आप चंद्रोदय का समय स्थानीय कैलेंडर या समाचार पत्रों में देख सकते हैं| लगातार दो दिनों तक चंद्रोदय का समय नोट कीजिए और देखिए कि क्या वह हमारे पूर्वानुमान से मेल खाते हैं| अगर नहीं, तो उनमें कितना अंतर है?
चित्र 1: चंद्रोदय के समय में होते हुए बदलाव