clix - Unit 2: The Moon
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Unit 2: The Moon

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4.1 परिचय: चंद्रोदय और महीना

शब्दकोष



पिछले पाठ में हमने सीखा कि चन्द्रमा कि जो कला हमें दिखती है, वह इसपर निर्भर करती है कि उसके प्रकाशित भाग का कितना हिस्सा पृथ्वी से दिख रहा है| पूर्णिमा में चन्द्रमा का सम्पूर्ण प्रकाशित भाग पृथ्वी की ओर होता है, और अमावस्या में चन्द्रमा का अंधेरे से ढका सम्पूर्ण भाग पृथ्वी की ओर होता है| हमने यह भी सीखा कि कभी-कभी पूर्णिमा की रातों में, सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा एक सीधी रेखा में आ जाते हैं जिससे चन्द्रमा पर पड़ने वाली सूर्य की रोशनी को पृथ्वी रोक लेती है और हमें चन्द्र ग्रहण दिखता है| इसी तरह कुछ ख़ास मौकों पर, अमावस्या के दिनों में, सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा सीधी रेखा में आ जाते हैं| इसलिए पृथ्वी से देखने पर चन्द्रमा सूर्य को ढक लेता है और हमें सूर्य ग्रहण दिखता है|

चंद्रोदय और चंद्रास्त का समय

चन्द्रमा अपनी कलाओं के एक चक्र को पूरा करने के लिए 29.5 दिन लेता है| यानी इस अवधि में पृथ्वी अपनी धुरी पर 29 से ज्यादा चक्कर लगा लेती है| पृथ्वी से देखने पर, हर घूर्णन के दौरान, चन्द्रमा पूर्व में उदय होता है और आकाश में गति करते हुए पश्चिम में अस्त हो जाता है| 24 घंटों के दौरान चन्द्रमा का आकार लगभग वैसा ही रहता है; इसलिए पृथ्वी पर किसी भी स्थान से चन्द्रमा की एक ही कला दिखती है|

 

पूर्णिमा की रात सूर्य और चन्द्रमा पृथ्वी की ठीक विपरीत दिशाओं में होते हैं| इसलिए किसी भी स्थान पर, जैसे भारत में, चन्द्रमा सूर्यास्त के समय उदय होता है, रात भर आकाश में रहता है और सूर्योदय के करीब अस्त होता है| (पूर्णिमा की रात, चन्द्रमा शाम को लगभग 6 बजे उदय होता है और 12 घंटे बाद अगले दिन सुबह 6 बजे अस्त होता है|) अगले सूर्यास्त तक चन्द्रमा अपनी कला बदलने के साथ-साथ अपनी वर्तमान स्थिति से भी थोड़ा आगे बढ़ जाता है| इसलिए वह अगले दिन थोड़ी देर से उदय होता है| आइए इसे समझने के लिए एक गतिविधि करें|