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Unit 2: The Moon

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1.1 चन्द्रमा का परिचय और प्राकृतिक गुण

शब्दकोष



पिछले अध्यायों में हमने सीखा कि पृथ्वी के अपनी धुरी पर एक चक्कर लगाने (घूर्णन) की अवधि को एक दिन कहते हैं और सूर्य के चारों ओर एक चक्कर लगाने (परिक्रमण) की अवधि को एक वर्ष कहते हैं| क्या आप कोई और तरीका सोच सकते हैं जिससे हम समय को माप सकते हैं?

हम एक वर्ष को महीनों में बाँटते हैं| क्या एक महीने की अवधि का किसी खगोलीय घटना से सम्बन्ध होता है?

प्राचीन संस्कृतियों में चन्द्रमा की कलाओं को समय के मापन के लिए इस्तेमाल किया जाता था| महीने या मास का अंग्रेजी शब्द ‘मंथ’ (month), चन्द्रमा यानी ‘मून’ (moon) के इसी चक्र से निकला है| कई प्राचीन कैलेंडरों में (जैसे चैत्री पंचांग, हिजरी कैलेंडर) एक महीने को एक नए चन्द्रमा से अगले नए चन्द्रमा के बीच की अवधि के बराबर माना जाता है|

आप चन्द्रमा के बारे में क्या जानते हैं? आप जितने तथ्य जानते हैं उन्हें सूचित कीजिए|
(लिखने के लिए चित्र पर क्लिक करें)
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चन्द्रमा के बारे में कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्नलिखित हैं:

a. चन्द्रमा पृथ्वी का प्राकृतिक उपग्रह है: एक ग्रह के चक्कर लगाने वाले किसी खगोलीय पिंड को उस ग्रह का उपग्रह कहा जाता है| चन्द्रमा पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है|

b. चन्द्रमा की सतह (पृष्ठ): सूर्य आकाश में मौजूद सबसे चमकीली वस्तु है| उसके बाद सबसे चमकीला चन्द्रमा है| भले ही चन्द्रमा रात के आकाश में सबसे चमकीली वस्तु है, पर उसका खुद का प्रकाश नहीं है| वह सूर्य से आने वाली रोशनी को परावर्तित करता है| चन्द्रमा चमकीला सफ़ेद दिखता है, पर उसकी सतह पृथ्वी से थोड़ा गहरे रंग की है|

चन्द्रमा पर दिखने वाले धब्बे दरअसल उसकी सतह पर हुए गड्ढे हैं| ये गड्ढे क्षुद्रग्रहों की टक्करों से बनते हैं| कुछ गड्ढों के तल तक रोशनी पहुँच ही नहीं पाती है| इसलिए चन्द्रमा के गड्ढों के अन्दर बेहद ठण्ड हो सकती है| दूरदर्शी से देखने पर चन्द्रमा ऐसा दिखता है|


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चित्र 1: पृथ्वी से दिखता हुआ पूर्ण चन्द्रमा

साभार: Image by Gregory H. Revera, CC BY-SA 3.0 Source: https://en.wikipedia.org/wiki/Moon#/media/File:FullMoon2010.jpg


c. द्रव्यमान और गुरुत्वाकर्षण: चन्द्रमा का द्रव्यमान (7.342×1022 किलोग्राम) पृथ्वी से बहुत कम है (5.97237×1024 किलोग्राम)| अगर आप इनका अनुपात निकालें, तो आप पाएंगे कि पृथ्वी का द्रव्यमान चन्द्रमा से 80 गुना ज्यादा है|

किसी वस्तु द्वारा लगाया जाने वाला गुरुत्व बल उसके द्रव्यमान पर निर्भर करता है| इसलिए चन्द्रमा का गुरुत्व बल पृथ्वी से कम है| चन्द्रमा पर आपका वजन पृथ्वी पर आपके वजन का केवल 1/6 होगा| इसलिए आप चन्द्रमा पर हल्का महसूस करेंगे|

d. वायुमंडल: चन्द्रमा का कोई वायुमंडल नहीं है| क्या आप अनुमान लगा सकते हैं क्यों? क्योंकि चन्द्रमा का गुरुत्व बल कमजोर है, इसलिए गैस जैसे हल्के तत्त्व उससे दूर चले जाते हैं, और बिना वायुमंडल के चन्द्रमा पर शेष रह जाते हैं केवल ठोस पत्थर|

पर्वतों और गड्ढों से बनी चन्द्रमा की सतह हजारों सालों से बदली नहीं है क्योंकि उसे बदलने के लिए वहां हवा और पानी नहीं हैं|

पृथ्वी से आकाश नीला दिखता है क्योंकि हवा में मौजूद गैस के अणुओं से सूर्य की रोशनी बिखर जाती है| चन्द्रमा पर रोशनी को बिखेरने के लिए कोई वायुमंडल नहीं है, इसलिए जब सूर्य चमक रहा होता है तब भी आकाश काला दिखता है| चन्द्रमा पर हवा नहीं है, इसलिए वहां आवाज भी नहीं सुनाई देती है|

e. आभासीय आकार: पूर्णिमा की रात को चन्द्रमा सूर्य जितना ही बड़ा दिखता है (लगभग 1 डिग्री कोणीय आकार)| सूर्य का व्यास चन्द्रमा से लगभग 400 गुना ज्यादा है| संयोग से पृथ्वी से चन्द्रमा जितना दूर है, सूर्य उससे 400 गुना ज्यादा दूर है| इसलिए हमें चन्द्रमा और सूर्य दोनों समान आकार के दिखते हैं| उसी तरह, जैसे दूर खड़े लोग गुड्डे-गुड़िया जैसे छोटे दिखते हैं|

जरा एक क्षण रुककर सोचिए कि आप चन्द्रमा पर कैसा महसूस करेंगे? आप काले आसमान के नीचे गहरे रंग की उबड़-खाबड़ सतह पर खड़े हैं, और चारो ओर बिल्कुल शांत है| कोई हवा नहीं, पानी नहीं, वनस्पति नहीं और न ही कोई जीवन|

और आप चन्द्रमा पर पृथ्वी के मुकाबले 6 गुना ऊंचा कूद सकते हैं| जरा चन्द्रमा की सतह को गौर से देखिए|

यह अंतरिक्षयात्री एस्ट्रोनॉट बज़ एल्ड्रिन की चन्द्रमा पर फोटो है जो अपोलो 11 अभियान के दौरान नील आर्मस्ट्रॉंग ने खींची थी|
 
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चित्र 2: अपोलो 11 अभियान के दौरान चन्द्रमा पर एक अंतरिक्षयात्री (बज़ एल्ड्रिन)|
साभार: नासा इमेज गैलरी